श्मशान में एक फोन आया और बन गये मोदी मुख्यमंत्री

जब श्मशान घाट में अपने दोस्त पत्रकार गोपाल बिष्ट की अंतिम यात्रा में शामिल मोदी को वाजपेई जी का फोन आया……

यह बात 1 अक्टूबर 2001 की है, दिल्ली के लोधी रोड श्मशान घाट में एक निजी TV चैनल के कैमरामैन गोपाल बिष्ट का अंतिम संस्कार हो रहा था, इस अंतिम संस्कार में कुछ पत्रकारों के अलावा सिर्फ एक दो नेता शामिल थे उनमें से एक थे नरेंद्र मोदी।

श्मशान घाट में कैमरामैन गोपाल बिष्ट का अंतिम संस्कार चल रहा था। गोपाल की मौत उस हवाई हादसे में हुई थी जिसमें कांग्रेस के कद्दावर नेता माधवराव सिंधिया दिल्ली से कानपुर जा रहे थे जिस मे बीच रास्ते में एक हवाई दुर्घटना की वजह से माधवराव सिंधिया समेत आठ लोगों की मौत हुई थी जिसमें कैमरामैन गोपाल भी शामिल था। दिल्ली के सभी पार्टियों के बड़े बड़े नेता माधवराव सिंधिया की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए ग्वालियर जा रहे थे तब एक नरेंद्र मोदी ही थे जो एक मामूली कैमरामैन गोपाल बिष्ट की अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे। श्मसान में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री आवास से फोन आया की तुम कहां पर हो, नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया मै श्मशान में हूं, मेरे एक पत्रकार दोस्त गोपाल की अंतिम यात्रा में शामिल होने आया हूं तो वाजपेई जी ने कहा ठीक है मुझसे आकर मिलो।

फिर नरेंद्र मोदी अटल बिहारी वाजपेई से मिलने गए तो वाजपेई जी ने आदेश दिया कि तुम्हें गुजरात का मुख्यमंत्री बनना है, यह सुनते ही मोदी घबरा गए और उन्होंने कहा कि मैं कभी एक चुनाव भी नहीं लड़ा, मैं कितने सालों से गुजरात से दूर हूं, मैं यह कैसे करूंगा, बाजपेयी ने कहा की तुमने अब तक दूसरों को चुनाव जीताया है अब अपने लिए चुनाव लड़ो। फिर लालकृष्ण आडवाणी पर नरेंद्र मोदी मिले और लालकृष्ण आडवाणी ने भी उसे कहा कि मैने और वाजपेयी जी ने तुम्हारे लिए फैसला ले लिया है, तुम्हें गुजरात की जिम्मेदारी संभाली है।

यह एक तरह से राजनीतिक गलियारे में वनवास झेल रहे नरेंद्र मोदी को नया जीवन देने जैसा था. हालांकि उस वक़्त किसी को अंदाज़ा नहीं था कि आने वाले दिनों में मोदी भारतीय राजनीति में शिखर तक जा पहुंचेंगे.

गुजरात में भाजपा की स्थिति लगातार बिगड़ रही थी, भाजपा उपचुनाव और निकाय चुनाव भी बुरी तरह हार रही थी, गुजरात भाजपा के नेता केंद्रीय हाईकमान पर तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल को हटाने का लगातार दबाव बना रहे थे, केंद्रीय नेतृत्व को गुजरात भाजपा में हो रही बगावत को किसी भी तरह शांत करना  कीसी चुनौती से कम नही था, किसी मजबूत नेता को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाना था इसीलिए अटल बिहारी वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी मिलकर फैसला किया गुजरात का मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को ही बनाया जाए।

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