मोदी और शाह को अपने ही गृह राज्य गुजरात में भाजपा को जिताना आसान नहीं होगा…

 
 

आपको बता दें की इस साल के दिसंबर महीने में गुजरात में विधानसभा चुनाव है. गुजरात विधानसभा चुनाव किस लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह पीएम मोदी और अमित शाह का गृह राज्य है दोनों नेता गुजरात के हैं. भाजपा गुजरात में 1995 से सत्ता पर काबिज है. 2001 से 2014 तक नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीते. लेकिन इस बार गुजरात में पहली बार भाजपा का CM का चेहरा नरेंद्र मोदी नहीं होगे क्योंकि नरेंद्र मोदी अब प्रधानमंत्री है. अमित शाह को भाजपा राष्ट्रीय राजनीति में ही रखना चाहती है. अब तक भाजपा सत्ता पर आती थी क्योंकि उनकी मुख्य वोटबेंक पाटीदार समुदाय है.  गुजरात में 20 से 22 फ़ीसदी पाटीदार समुदाय की जनसंख्या है अब तक वो ज्यादातर वोट भारतीय जनता पार्टी देते थे मगर 1 साल पहले गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन हुआ उसकी अगुवाई युवा नेता हार्दिक पटेल ने की. आरक्षण आंदोलन की वजह से गुजरात में हिंसा हुई थी जिसमें प्रसाशनिक कार्यवाही मे पाटीदारो की मौत हुई थी तब से पाटीदार समुदाय भाजपा से नाराज है.
 जब आनंदीबेन पटेल ने इस्तीफा दिया और विजय रुपानी को मुख्यमंत्री बनाया गया तब भी पाटीदार समुदाय ने अपना विरोध दर्ज किया था. आंदोलन के बाद  जिला पंचायत और तालुका पंचायत के चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त मिली थी. जहां जहां पर पाटीदार समुदाय का वर्चस्व था वहां पर भाजपा हो मुश्किल हो गई थी. अभी भी भाजपा और हार्दिक पटेल के बीच तनातनी बढ़ती ही जा रही है हार्दिक पटेल लगातार पाटीदारों को संदेश दे रहे हैं भाजपा को वोट न दें.

भाजपा हर बार हिंदुत्व और विकास के सहारे चुनाव लड़ती रही है। गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री रहते मोदी की कार्यप्रणाली से गुजरात की जनता बहुत ही संतुष्ट थी और अमित शाह की रणनीति चुनाव में काम कर जाती थी मगर इस बार यह दोनों नेता राष्ट्रीय राजनीति में है। यह दोनों नेता ने अपना पूरा ध्यान गुजरात चुनाव पर लगा रखा है।

अभी-अभी देखें तो मोदी और अमित शाह लगातार गुजरात दौरे पर आ रहे हैं अरुण जेटली को गुजरात का प्रभारी बनाया गया है। गुजरात चुनाव मोदी और अमित शाह की प्रतिष्ठा का चुनाव बन गया है। मोदी चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक देंगे।     

ABP न्यूज़ के सर्वे में गुजरात में भाजपा को 140 प्लस मिलते हुए सत्ता में वापसी करते हुए दिखाया है।
शंकर सिंह वाघेला जो कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता ने उसने अभी थोड़े दिनों पहले कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है क्योंकि वाघेला चाहते थे की कांग्रेस उनको मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए मगर कांग्रेस आलाकमान ने वाघेला की इस मांग को ठुकरा दिया जिसके चलते वाघेला ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया। उसने अलग से अपना मोर्चा बनाया है उसका नाम रखा है जन विकल्प। वो अपना चुनाव प्रचार भाजपा और कांग्रेस दोनों के खिलाफ कर रहे हैं। शंकरसिंह वाघेला ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने के संकेत दिए हैं अगर ऐसा होता है तो इनसे कांग्रेस के वोट ज्यादा कर सकते हैं जिसका सीधा फायदा भाजपा को पहुंचेगा।
परिणाम क्या होगा वह तो आने वाले दिनों में पता चलता है कहां कब जाने कौन सा समीकरण बदल जाता है वह पता ही नहीं चलता।

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