वर्तमान राजनितिक परिवेश में एक उम्दा राजनितिक प्रबंधक है अमित शाह जी
कम बोलने वाले और शालीन से दिखने वाले अमित शाह जी नरेन्द्र मोदी जी के संघर्ष से सत्ता तक के साथी है !
अमित शाह का जन्म 22 अक्तूबर 1964 को मुंबई में एक बड़े व्यवसायी अनिलचंद्र शाह के घर हुआ था। उन्होंने बायोकेमेस्ट्री में बीएससी तक शिक्षा प्राप्त की साथ ही पिता के व्यवसाय से जुड़ गए।
कुछ समय तक उन्होंने स्टॉक ब्रोकर का भी कार्य करने के बाद आरएसएस से जुड़ गए और उसके साथ ही बीजेपी के सक्रिय सदस्य भी बन गए। इसी दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। इस वक्त अमित शाह उनके करीब आए और गांधीनगर क्षेत्र में चुनाव के दौरान उनके साथ प्रचार-प्रसार किया।
उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जरिए भाजपा में प्रवेश किया। मार्च में उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया।
शाह 1986 में भाजपा में शामिल हुये। 1987 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का सदस्य बनाया गया। शाह को पहला बड़ा राजनीतिक मौका मिला 1991 में, जब आडवाणी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला। दूसरा मौका 1996 में मिला, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात से चुनाव लड़ना तय किया। इस चुनाव में भी उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला। पेशे से स्टॉक ब्रोकर अमित शाह ने 1997 में गुजरात की सरखेज विधानसभा सीट से उप चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1999 में वे अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक (एडीसीबी) के प्रेसिडेंट चुने गए। 2009 में वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बने। 2014 में नरेंद्र मोदी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने। 2003 से 2010 तक उन्होने गुजरात सरकार की कैबिनेट में गृहमंत्रालय का जिम्मा संभाला।
2003 में जब गुजरात में दुबारा नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी, तब नरेन्द्र मोदी ने उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया और उन्हें गृह मंत्रालय सहित कई तरह की जिम्मेदारियां सौंपीं। अमित शाह बहुत ही जल्द नरेन्द्र मोदी के सबसे करीबी बन गए।
अमित शाह अहमदाबाद के सरखेज विधानसभा क्षेत्र से लगातार 4 बार से विधायक हैं। 2002 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य की 182 में से 126 सीटें जीतीं, तो अमित शाह ने सबसे अधिक (1.58 लाख) वोटों से जीतने का रिकॉर्ड बनाया। अगले चुनाव में उनकी जीत का अंतर बढ़ कर 2.35 लाख वोट हो गया।
अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबसे चहेते माने जाते हैं। मोदी के सबसे करीबी और विश्वासपात्र सहायक माने जाने वाले शाह ने गुजरात भाजपा के मजबूत नेता से राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का सुप्रीमो बनने तक में एक साल से भी कम समय लिया।
उन्हें भाजपा का महासचिव बनाया गया। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनावों में अमित शाह को उत्तरप्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया गया। शाह के नेतृत्व में एनडीए को उत्तरप्रदेश भाजपा को मिली शानदार जीत। यूपी में भाजपा को 80 में से 71 सीटों पर जीत मिली।
शाह के सांगठनिक कौशल सीमावर्ती बिहार में भी भाजपा के लिए कारगर रहे। यहां पार्टी ने लोजपा और ओबीसी नेता उपिंदर कुशवाहा के साथ गठबंधन करके राज्य की 40 में से 31 सीटें हासिल कीं। राज्य में 22 सीटें भाजपा ने अकेले अपने दम पर हासिल की थीं। सहयोगियों के साथ मिलकर 31 सीटें जीतकर भाजपा ने राज्य की पदस्थ जदयू सरकार को लगभग बेदम ही कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमित शाह की सार्वजनिक तौर पर तारीफ की। मोदी ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव में एक फायदा यह हुआ कि देश को अमित शाह जैसा कार्यकर्ता मिला।’ मोदी ने यह भी कहा कि जितनी सीटें कांग्रेस 30 राज्यों में नहीं जीत पाई, उससे डबल तो अमित शाह सिर्फ यूपी में ले आए। इसमें कोई शक नहीं है कि शाह की कुशल रणनीति के चलते बीजेपी को यूपी में शानदार सफलता मिली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबसे विश्वस्त सलाहकार माने जाने वाले अमित शाह अब भारतीय जनता पार्टी के सबसे कम में अध्यक्ष बन गए ।
जब से अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद संभाला है तबसे भाजपा दिन-प्रतिदिन मजबूत होती जा रही है, भाजपा ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह कश्मीर में सरकार बनाएंगे. नरेंद्र मोदी जब 2014 में प्रधानमंत्री बने तब सात राज्य में भाजपा की सरकार थी, आज 15 से भी ज्यादा राज्यों में भाजपा की सरकार है। उनका श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह अमित शाह को जाता है। वह चुनावी रणनीति बनाने में माहिर है और भारतीय राजनीति के चतुर खिलाड़ी है। केंद्र सरकार पर जितने भी सवाल मिडिया ने पूछे उसका जवाब अमित शाह बड़ी बेबाकी से देते हैं। मीडिया वाले भी अमित शाह को सवाल पूछने से पहले 10 बार सोचते हैं।
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