जन्मदिन विशेष: चाय वाले से प्रधानमंत्री तक का एक संघर्षमय सफर

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 68वां जन्मदिन है, देश विदेश से उनके प्रशंसक करोड़ों प्रशंसक उनको जन्मदिन की बधाई भेज रहे हैं,  साथ में उनके कई प्रशंसक देश में मोदी जी के जन्मदिन विशेष के कार्यक्रम कर रहे हैं उसमें काफी लोग हिस्सा ले रहे हैं। उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी उनके जन्मदिन विशेष बहुत बड़ा कार्यक्रम है जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिस्सा लेंगे।

नरेंद्र मोदी का जन्मदिन 17 सितंबर 1950 को गुजरात के बनासकांठा जिल्ले के वडनगर में हुआ था। एक सामान्य परिवार में जन्मे नरेंद्र मोदी का जीवन बचपन से ही संघर्षमय रहा। नरेंद्र के पिता दामोदर दास मोदी वडनगर रेलवे स्टेशन में एक चाय की दुकान हुआ करती थी। नरेंद्र मोदी जब छोटे थे तब उनके पिता के साथ चाय बेचते थे। चाय बेचने के साथ-साथ उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा वडनगर मे ही हासिल की। नरेंद्र मोदी पढ़ाई को इतनी तवज्जो नहीं देते थे लेकिन स्कूल में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम और नाटक मैं हिस्सा जरुर लेते थे और पुरस्कार भी जीते थे उसके साथ वह बड़ी बडी किताबें पढ़ने थे।

वकील साहब की बातों से मोदी को RSS का रंग चढ़ा

आपको बता दें की नरेंद्र मोदी की चाय की दुकान में वकील साहब यानी कि लक्ष्मणराव इनामदार रोज चाय पीने आते थे. मोदी उनके साथ हर रोज काफी बातें करते थे. वकील साहब वडनगर में RSS की शाखा में सरसंघचालक थे. नरेंद्र मोदी उनसे प्रभावित होकर RSS की शाखा में जाने लगे बाल स्वयंसेवक बन गए।

 
 

मां हीराबा  घबरा गई थी जब बेटे नरेंद्र ने कहा मैं संन्यासी बनना चाहता हूं

 मोदी बचपन से ही साधु संतों से प्रभावित थे, उनको साधु-संतों के आसपास रहना बहुत पसंद था, वह बचपन से ही साधु संतों की सेवा करते थे, वह बचपन से ही सन्यासी बनना चाहते थे इसलिए वो पढ़ाई में कम और आध्यात्मिक ज्यादा थे। यह सब देख कर मां हिराबा को डर लगता था फिर उन्होंने अपने दोनों बेटे सोम भाई और नरेंद्र भाई की कुंडली किसी ज्योतिष के पास निकलवाई तो उस ज्योतिष ने कहा सोम भाई का जीवन सामान्य रहेगा लेकिन नरेंद्र भाई अगर सन्यासी बन गए तो बहुत बड़े साधु बनेंगे और राजनीति में गए तो सियासत के बादशाह बनेगे।  मां हीराबा को जिस बात का डर था वही हुआ नरेंद्र ने कहा कि मैं आध्यात्मिक खोज के लिए हिमालय जाना चाहता हूं आप इजाजत दें ,तो मां डर गई थी फिर भी बेटे नरेंद्र ने कहा कि मैं ऐसे नहीं जाना चाहता हूं जब घरवाले मुझे खुश होकर इजाजत दे तभी मैं जाऊंगा फिर मां ने उसे तिलक लगाकर बिदा कीया और कहां अपना ख्याल रखना।
मोदी के आध्यात्मिक होने पर  कहा जाता हैं कि उन पर स्वामी विवेकानंद की किताबो का असर था उन्होंने ज्यादा-से-ज्यादा किताब स्वामी विवेकानंद पर पड़ी है इन्हीं का कारण है की मोदी अपनी संन्यासी यात्रा के दौरान पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण मठ में भी रह चुके हैं।

मोदी जब हिमालय गए थे तब की तस्वीर:-

 
सबको याद होगा 1975 वो दौर जीसमे तत्कालीन प्रधानमंत्री   इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी, तब नरेंद्र मोदी अंडर ग्राउंड काम कर रहे थे,
पुलिस को देखते ही पकड़ने के आदेश थे इसलिए मोदी वेश बदल बदल कर जगह बदलते थे और सफलतापूर्वक अपने काम को अंजाम देते थे यह बात उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कही थी। उसके साथ वह RSS के प्रचारक भी थे RSS में उन्होंने बड़ी-बड़ी जिम्मेवारियां बखूबी निभाई। भाजपा में भी उन्होंने कई बड़े-बड़े राज्यों में है प्रभारी के रूप में काम किया । भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने के लिए उनको जो भी जिम्मेदारी RSS और BJP ने दी थी उसमे उन्होंने बेहतर परिणाम दीया।
 
 
 
 
भाजपा में उनकी कार्यप्रणाली को देख पार्टी के प्रमुख नेता भी प्रभावित हुए थे। पार्टी के प्रमुख नेताओं के करीबी बन रहे थे। दिन-प्रतिदिन उनके काम करने के तरीके से उनका कद बढ़ता जा रहा था।आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या यात्रा निकाली थी। राम मंदिर आंदोलन के समय उस वक्त उनके सारथी नरेंद्र मोदी थे। उस समय के प्रमुख नेता मुरली मनोहर जोशी ने भी तिरंगा यात्रा निकाली थी ,उस वक्त कश्मीर के लाल चौक में तिरंगा लहराना था, सब मोदी की अगुवाई में कश्मीर के लाल चौक में तिरंगा लहराने के लिए रवाना हुए मगर मोदी के काफिले को आतंकी धमकियां मिल रही थी फिर भी उन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर कश्मीर के लाल चौक में तिरंगा लहराया। मोदी का नाम पार्टी में समर्पीत और महेनतु कार्यकर्ता के रुप में उभर रहा था।
 
 
 

नरेंद्र मोदी बचपन से ही जिद्दी स्वभाव के थे वह जो करने की ठान लेते थे उसे पूरा कर के ही छोड़ते थे।
गुजरात में 2001 में भूकंप आए उस समय गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल को इस्तीफा देना पड़ा था, तुरंत ही केशुभाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बनाये गये। आपको बता दें कि मोदी मुख्यमंत्री बनने से पहले एक भी चुनाव नहीं लड़ा, उन्होंने अपनी जिंदगी का पहला चुनाव राजकोट से लड़ा।

 

 
 

मुख्यमंत्री बनने के कारण उनको विधायक के तौर पर चुनाव लड़ना था उन्होंने पहला चुनाव राजकोट से लडा और जीत दर्ज की। चुनाव में जीत दर्ज करने के 3 दिन बाद गुजरात में दुर्घटना घटी गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बों को जलाया गया, जिसमें कारसेवको की मौत हुई, इस घटना का का असर पूरे गुजरात मे होने लगा, पूरे गुजरात में भीषण दंगे हुए जिसमें लोग मारे गये, उस समय मोदी ने गुजरात के लोगों से सीधी बात की और शांति बनाए रखने की अपील की फिर भी दंगे की वजह से स्थिति बेकाबू होती गई, मोदी ने दंगाइयों को देखते ही गोली मार देने के आदेश दे दिए, सेना बुलाई गई उसके बाद से मोदी के विरोधी उन पर दंगे भड़काने का आरोप लगाते हैं, इस घटना के बाद पूरे देश में नरेंद्र मोदी कट्टर  हिंदुत्ववादी के तौर पर उभरे। मीडिया में भी मोदी पर सवाल उठने लगे फिर भी मोदी ने उस पर ध्यान नहीं दिया और गुजरात को बदलना शुरू किया.
बड़े बड़े पूंजीपतियों को गुजरात में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया ,देश-विदेश की कई कंपनियों ने गुजरात में निवेश किया गुजरात का औद्योगिक विकास बढ़ता गया और देश में मोदी छा गए. नरेंद्र मोदी ने अमिताभ बच्चन को गुजरात का ब्रांड अंबेसडर बनाया जिसके चलते गुजरात के पर्यटन का विकास हुआ।
 मोदी ने लगातार विधानसभा चुनाव जीते और रिकोर्ड बनाते गए। पूरे देश में कांग्रेस की यूपीए सरकार के प्रति गुस्सा था,देश की जनता विकल्प ढूंढ रही थी देश की जनता को जो चाहिए था वह सब नरेंद्र मोदी में दिख रहा था. बड़े-बड़े सर्वे में नरेंद्र मोदी का नाम पीएम के तौर पर उभरा, बीजेपी ने उन्हें पीएम पद का प्रत्याशी घोषित किया और 2014 में उनकी अगुवाई में चुनाव लड़ा जिसमें भाजपा नित NDA को जबरदस्त जीत मिली।

मोदी के काम करने के तरीके से अमेरिका भी उनकी तारीफ करता है।
विदेशी मामलों में अच्छे कुटनीतिकार नरेंद्र मोदी साबित हुए।इसी का कारण है कि डोकलाम से चीन को पीछे हटना पड़ा और पाकिस्तान को दुनिया के सामने अलग कर दिया जिसमें नरेंद्र मोदी की चतुर चाल ही कमाल कर गई।

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